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Saturday, June 8, 2024

Troubled Waters.

Fishing in the Troubled Waters.

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मैं नहीं कह सकता कि उपरोक्त शीर्षक का प्रयोग मैंने जिस प्रकार और अर्थ में किया है वह अंग्रेजी भाषा में इसी प्रकार और अर्थ में किया जाता है या नहीं। वैसे मेरा तात्पर्य यहाँ यह है कि जैसे किसी शान्त तालाब के जल में मछलियाँ पकड़ना आसान है बनिस्बत अशान्त जल में मछलियाँ पकड़ने से, किसी भी मनुष्य, स्थिति या राष्ट्र के बारे में भविष्यकथन का ज्योतिषीय प्रयास वैसा ही कुछ है। जैसे किसी इलेक्ट्रिशियन के लिए बिजली की लाइन पर काम करना तब अधिक आसान होता है जब उसमें बिजली का प्रवाह बन्द हो और प्रवाह के चालू रहने पर काम करना अपेक्षतया अधिक कठिन और जोखिमयुक्त होता है, वैसे ही किसी राजनीतिक, सामाजिक, क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों के उथलपुथल के समय उनके बारे में भविष्य के आकलन और भविष्यकथन करने का प्रयास अपेक्षाकृत अधिक जोखिमयुक्त होता है बनिस्बत किसी सामान्य समय पर उनका आकलन करने से। वैसे सामान्य वैदिक ज्योतिष सिद्धान्तों के अनुसार प्रत्येक आकाशीय खगोलपिण्ड जैसे कि ग्रह-उपग्रह नक्षत्र और उनके समूह अर्थात् राशियाँ सचेतन विशिष्ट देवता होते हैं  और इसी प्रकार राहु तथा केतु भी स्थूल पिण्ड नहीं हैं, फिर भी राहु और केतु दोनों सूक्ष्म आकाशीय अक्ष के दो शीर्षबिन्दु हैं जिन्हें कि ज्योतिषीय गणना में अपरिहार्यतः आवश्यक रूप से मानना पड़ता है क्योंकि शीर्षबिन्दुओं की तरह से भी उनका अस्तित्व सूर्य-ग्रहण और चन्द्र-ग्रहण के सटीक पूर्वानुमान से भी सिद्ध है, इसलिए वे भी अदृश्य होते हुए भी दूसरे स्थूल दृश्य पिण्डों जैसे, ऐसे ही सचेतन देवता हैं, जो किसी भी घटना के फलित होने में महत्वपूर्ण होते हैं। जैसे एक से अधिक ग्रहों-उपग्रहों का विशिष्ट योग उनके सम्मिलित प्रभाव का सूचक है सकता है, वैसे ही समय विशेष - नक्षत्र, मुहूर्त, करण, योग, तिथि, मास और पक्ष भी इतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। तात्पर्य यह कि जैसे जैसे समय का विस्तार छोटा या बड़ा होता जाता है, वैसे वैसे भविष्य का आकलन और भविष्यकथन कर सकना  उतना ही कम या अधिक कठिन होने लगता है। फिर भी ज्योतिषशास्त्र के अधिकाँश अध्येता इसी प्रयास में लगे ही रहते हैं।

और एक दूसरा उदाहरण शतरंज के खेल का हो सकता है। जैसे खिलाड़ी के लिए किसी चाल को चलते समय यद्यपि अनेक विकल्प होते हैं किन्तु उनमें से वह किसी एक को ही चुन सकता है, और इसके बाद उसका प्रतिद्वंदी भी इसी तरह से चलने के लिए अनेक विकल्पों के होने पर भी एक को ही चुन सकता है, और अगली ही चाल में उसके लिए चल सकने के लिए उपलब्ध संभावित विकल्पों की संख्या आघातवर्ध्य क्रम में बढ़ती ही चली जाती है, वैसे ही ज्योतिषीय आकलन और गणना में भी संभावनाओं का क्रम ज्योतिषीय गणना करनेवाले के लिए दुरूह चुनौती होता है। शुद्ध खगोलीय स्थूल घटनाओं का तो अवश्य ही ठीक ठीक और संदेहरहित पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिस पर सभी खगोलविद सहमत ही होते हैं लेकिन जब किसी सूक्ष्म घटना का पूर्व आकलन और अनुमान लगाया जाता है तो उसके सत्य सिद्ध होने की संभावना लगभग शून्य हो जाती है। विशेष रूप से राजनीतिक स्थितियों के बारे में तो यही कहा जा सकता है। यद्यपि किसी समय स्थितियाँ सामान्य होंगी या असामान्य, यह तो बतलाया जा सकता है किन्तु किसी भी स्थिति का एक लगभग धुँधला सा चित्र भी बना पाना कठिन होता है, फिर अक्षरशः सही सिद्ध हो सकनेवाली कोई बिलकुल स्पष्ट भविष्यवाणी कर पाना तो और भी अधिक कठिन है। इसलिए ज्योतिषियों की अपेक्षा तो दूसरे लोग जैसे कि राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के विश्लेषणकर्ता ही अधिक बेहतर पूर्वानुमान कर सकते हैं।

किन्तु सामान्य मनुष्य के लिए उन्हें समझ सकना और उनके द्वारा दिए गए विभिन्न  पूर्वानुमानों को स्वीकार कर पाना संभव नहीं हो पाता है। और शायद इसलिए भी लोगों की रुचि ज्योतिषियों के पूर्वानुमानों में अधिक होती है, राजनीतिक प्रेक्षकों और आलोचकों के द्वारा व्यक्त किए गए  निष्कर्षों में नहीं। 

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ujjain, m.p., India
My Prominant Translation-Works Are: 1.अहं ब्रह्मास्मि - श्री निसर्गदत्त महाराज की विश्वप्रसिद्ध महाकृति "I Am That" का हिंदी अनुवाद, चेतना प्रकाशन मुम्बई, ( www.chetana.com ) से प्रकाशित "शिक्षा क्या है ?": श्री जे.कृष्णमूर्ति कृत " J.Krishnamurti: Talks with Students" Varanasi 1954 का "ईश्वर क्या है?" : "On God", दोनों पुस्तकें राजपाल संस, कश्मीरी गेट दिल्ली से प्रकाशित । इसके अतिरिक्त श्री ए.आर. नटराजन कृत, श्री रमण महर्षि के ग्रन्थों "उपदेश-सारः" एवं "सत्‌-दर्शनं" की अंग्रेज़ी टीका का हिंदी अनुवाद, जो Ramana Maharshi Centre for Learning,Bangalore से प्रकाशित हुआ है । I love Translation work. So far I have translated : I Am That (Sri Nisargadatta Maharaj's World Renowned English/Marathi/(in more than 17 + languages of the world) ...Vedanta- Classic in Hindi. J.Krishnamurti's works, : i) Ishwar Kyaa Hai, ii)Shiksha Kya Hai ? And some other Vedant-Classics. I am writing these blogs just as a hobby. It helps improve my skills and expressing-out myself. Thanks for your visit !! Contact : vinayvaidya111@gmail.com