P O E T R Y
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My Lord!
You often objected,
This my addressing to You,
But O My Lordship!
I could never stop,
My humble soul,
From expressing,
Its Gratitude!
Please Do forgive me,
Just as Kindness is Yours,
Humility is my attitude!
***
हे प्रभु!
तुमने कितनी बार मुझसे कहा :
कि मैं तुम्हें प्रभु कहकर संबोधित न करूँ!
मैं मानता हूँ कि यह तुम्हारी महानता ही है,
यह तुम्हारी उदारता ही है,
किन्तु हे प्रभु!
क्या तुम सारे जगत् के ही स्वामी / प्रभु नहीं हो!
क्या तुम ही जगत् में व्याप्त और,
ओत प्रोत विभु नहीं हो!
क्या मैं तुम्हारा ही दास और सेवक नहीं हूँ!
फिर भी, तुम्हारे आदेश का पालन करते हुए ,
अब मैं तुम्हें मान्यवर महोदय ही कहूँगा।
प्रणाम!
🙏
***
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