Sensitivity and Applied Mathematics.
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Vinay's Law :
Our measure of sensitivity of the farces, ironies, contradictions is in inverse proportion to their number we are dealing with at any moment.
That is
S ∝ 1/N,
where S is the measure of sensitivity,
N is the number of farces, ironies, contradictions.
This means, if there is 1 farce, irony, or contradiction at any time, our sensitivity is 1.
If there are 100 farces, ironies, contradictions, our sensitivity is 1/100.
The same rule could be extended to any number from 0 to ∝ / infinity.
In other words we could plot a Statistical Probability Distribution Index Graph between these 2 variables.
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Corollaries :
1. We are maximum sensitive when our mind is free from conflict.
2. A single conflict diminishes our sensitivity to half.
3. When riddled with a great number of farces, ironies, contradictions, or say conflicts, our sensitivity tends to near ) (or 'as small as we please').
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विनय का नियम
जीवन की विडम्बनाओं के प्रति हमारी संवेदनशीलता उनकी संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
गणितीय भाषा में,
S ∝ 1/N,
जहाँ,
S = संवेदनशीलता का परिभाषित मान,
N = विडम्बनाओं की संख्या
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व्याख्या :
अर्थात् विडम्बना (संख्या की दृष्टि से) 1 हो तो संवेदनशीलता 100 % और विडम्बनाएँ 100 हों तो संवेदनशीलता 1 % हो जाती है । इस नियम को N = 0 (शून्य) से N = ∝ (अनंत) तक किसी भी संख्या पर किया जा सकता है। इस आधार पर विडम्बनाओं और संवेदनशीलता के बीच एक सांख्यिकीय संभाव्यता विभाजन- सूचकांक (Statistical Probability Distribution Index Graph) चार्ट / ग्राफ़ भी परिभाषित तथा आरेखित किया जा सकता है, जिसके आधार पर यह गणना सकती है कि किसी इकाई-समय में 1 विडम्बना के प्रति 100 % संवेदनशीलता पर ज्ञात परिस्थितियों के अंतर्गत किस सीमा तक उस विडम्बना का समाधान या निवारण संभव होगा।
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